जमीन के भीतर भी जलसंकट
भास्कर न्यूज
उदयपुर. भूजल विभाग ने जिले की सभी पंचायत समितियों में उपलब्ध भूजल की मात्रा पर चिंता जताई है। अभी गर्मी शुरू नहीं हुई है, इसलिए पानी की खपत कम है, लेकिन जेठ की तपिश तक पेयजल की खपत में इजाफा होना तय है। जिले की 11 पंचायत समितियों में से 8 को अति दोहित (ओवर ड्राफ्टेड) और 3 को संवेदनशील घोषित किया गया है।
राज्य सरकार के जोधपुर स्थित भूजल विभाग ने उदयपुर की भूजल स्थिति पर चिंता जताई है। विभाग के सीनियर हाइड्रोलोजिस्टों का मत है कि उदयपुर जिले में भूजल दोहन पर कानूनन रोक न लगाई गई तो अगले कुछ सालों में जमीन के भीतर पानी पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
चार श्रेणी के इलाके
भूजल विभाग ने जिले की भूमि को भूजल के दोहन और पुनर्भरण (रिचार्ज) के तुलनात्मक आधार पर 4 श्रेणियों में बांटा है। पहली सुरक्षित श्रेणी है। इस श्रेणी के क्षेत्रों में भूजल प्रचुर मात्रा में है। यहां जितना पानी जमीन में समाता है, उससे कम मात्रा में बाहर निकाला जाता है। दूसरी श्रेणी अर्धसंवेदनशील है। जिसमें जितना पानी पाताल में जाता है, उसका 70 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम में लिया जाता है। तीसरी श्रेणी है संवेदनशील, जिसमें पुनर्भरण जल का 90 से 100 प्रतिशत हिस्सा उपयोग में लिया जाता है। चौथी श्रेणी है अतिसंवेदनशील।
इसमें जमीन में समाने वाले पानी के मुकाबले कहीं अधिक पानी बाहर खींचा जाता है। भूजल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले की कोटड़ा, खेरवाड़ा व सराड़ा पंचायत समितियों को भूजल उपलब्धता के क्षेत्र में संवेदनशील श्रेणी में सम्मिलित किया गया है। गिर्वा-उदयपुर, बड़गांव, गोगुंदा, झाड़ोल, मावली, भींडर, सलूंबर और धरियावद पंचायत समितियों को अति दोहित माना गया है।
भूजल पुनर्भरण नहीं होता आसानी से
उदयपुर जिले के भूगर्भ में कठोर चट्टानें यानी हार्ड रॉक की परत है। हार्ड रॉक को मेटामार्फिक रॉक कहते हें। इन चट्टानों को भेदकर पानी अंदर एकत्र होना बहुत मुश्किल होता है। चट्टानों की दरारों से होकर पानी भीतर के जलस्रोतों तक पहुंचता है। इसके विपरीत मारवाड़ अंचल के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर आदि क्षेत्रों में भूजल स्रोतों का भरना अपेक्षाकृत कहीं आसान है। मारवाड़ में बालुई चट्टानें (सेडिमेंट्री रॉक्स) हैं, जिसकी वजह से जल आसानी से पाताल में पहुंचकर संग्रहित हो जाता है।
इनका कहना है
उदयपुर जिले में भूजल उपलब्धता की स्थिति बेहद चिंताजनक है। हार्ड रॉक के कारण वर्षा जल आसानी से धरती में नहीं समा पाता है। घरेलू कार्य, कृषि व व्यावसायिक उपयोग के लिए भूजल का बेशुमार दोहन हो रहा है। जिले की धरियावद पंचायत समिति औसत से अधिक वर्षा होने के बावजूद अति दोहित श्रेणी में शामिल है। उदयपुर जिले को चिंताजनक भूजल स्थिति से बाहर निकालने के लिए यहां भूजल दोहन पर नियंत्रण करना होगा और वाटर हार्वेस्टिंग कार्यक्रम को प्रभावी रूप से लागू करना होगा।
—एस.के.खाब्या, सीनियर हायड्रोलोजिस्ट