एक दिन जल विहीन हो जाएगी धरती

एजेंसी

न्यूयॉर्क. खगोलविदों ने दावा किया है कि आज से लगभग 7.6 अरब वर्ष बाद सूर्य हमारी धरती को सुखाकर रख देगा। तब धरती की कक्षा भी परिवर्तित हो जाएगी। ससैक्स यूनिवर्सिटी के खगोलविदों का कहना है कि सूर्य का धीरे-धीरे हो रहा विस्तार धरती की सतह का तापमान बढ़ा देगा, जिससे समुद्रों का पानी वाष्प बनकर उड़ना शुरु हो जाएगा। इसके बाद समुद्र उबलकर सूख जाएंगे और भाप बना पानी उड़कर अंतरिक्ष में पहुंच जाएगा। अरबों साल बाद धरती बेहद गर्म, सूखी और न रहने लायक हो जाएगी।
फैलना शुरू हो जाएगा सूर्य-इससे पहले खगोलविदों ने हिसाब लगाया था कि आखिरकार धरती नष्ट होने से बच जाएगी, लेकिन उन्होंने मरते सूर्य की बाहरी सतह द्वारा पैदा किए जाने वाले प्रभावों का अध्ययन नहीं किया था।
गुरुत्वाकर्षण खिंचाव कम होगा-प्रमुख खगोलविद डॉ. रॉबर्ट स्मिथ ने कहा हमने पहले बताया था कि सूर्य फैलना शुरु हो जाएगा। इससे तेज हवाओं के रूप में इसका भार भी कम होगा। इस कारण धरती पर सूर्य का गुरूत्वाकर्षण खिंचाव कम हो जाएगा। इससे धरती की घूमने की कक्षा बाहरी ओर मुड़ जाएगी।
यह स्थिति सूर्य के फैलने से ठीक पहले होगी। जब धरती अपनी कक्षा से भटककर सूर्य की ओर खिंचेगी तो सूर्य का ताप धरती पर ज्यादा तेज गति से पहुंचना शुरू हो जाएगा और धीरे-धीरे सभी महासागरों का पानी ताप के चलते भाप बनना आरंभ हो जाएगा। परिणामस्वरूप यह सारा पानी अंतरिक्ष की ओर उड़ जाएगा।
शनि घिरा है अदृश्य, आंशिक वलयों से
खगोलविदों ने शनि ग्रह के दो नन्हें चंद्रमा की कक्षाओं के निकट उच्च ऊर्जा वाले कणों के घने गुबार के बीच दरारें खोज निकाली हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि शनि तकरीबन अदृश्य और आंशिक वलयों से घिरा है।
नासा के मुताबिक कैसिनी उपग्रह से ली गई तस्वीरों के जरिये खगोलविद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रानों की अनवरत झड़ी के बीच दो अजीबोगरीब दरारें हैं।
कैसिनी उपग्रह जब शनि के निकट पहुंचा था, उसे इन इलेक्ट्रान की बारिश झेलना पड़ी थी। ये दरारें हाल में खोजे गए शनि के दो चंद्रमा मेथान और एंथ की कक्षाओं के बिल्कुल साथ-साथ-हैं। ये दोनों चंद्रमा मिमास और इंसेलाडस की कक्षाओं के बीच स्थित हैं।

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