जल ही जीवन है, बिन पानी सब सूना - संजय सिंह - मीडिया स्टार

पानी पीना ही अच्छे स्वास्थ्य को सुनिशिचत नहीं करता । जरूरी है कि जो पानी हम पी रहे हैंवह शुद्ध भी हो। खासकर बरसात का मौसम में, जब पानी में संक्रमण बढ़ जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जो पानी हम पी रहे हैं क्या वह वाकई में सुरक्षित है? जितना हम अपने कपड़ों और घर की साफ-सफाई पर ध्यान देते हैं क्या उतना ही पानी की शुद्धता को लेकर भी सचेत हैं?

संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की एक तिहाई आबादी यानी लगभग दो करोड़ या तीन में से एक व्यक्ति को स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है। और जो पानी हम तक पहुंच रहा है, वह भी बीमारियों को न्यौता देने वाले कीटाणुओं से युक्त है। परिणाम यह है कि दूषित पेयजल के कारण डायरिया, आंत्राशोध, चर्म रोग, पोलियो, हेपेटाइटिस, कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही है और हर साल लाखों लोग का अपना शिकार बना रही है। पीने के लिए हमारे पास दो तरह का पानी है। एक भूजल जो ८० फीसदी लोगों की प्यास बुझाता है। दूसरा नदियों, झीलों,तालाबों का पानी, जो सिर्फ २० प्रतिशत लोगों को उपलब्ध है। भूजल में नमक की मात्रा ज्यादा होती हैं और स्वाद में भी खारा होता है,लेकिन इससे कहीं ज्यादा खतरनाक बात यह है कि इसमें काफी मात्रा में कीटनाशक मिले होते हैं। ये वे कीटनाशक है जिन्हें खेती में इस्तेमाल करते हैं। जमीन में गहराई तक इन कीटनाशकों के अंश पहुंचने से इनसे दूषित पानी हमारे शरीर में पहुंच रहा है। इसके अलावा जल के स्रोतों के दूषित होने का एक बड़ा कारण औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा भी है।

दुनिया भर में बीमारियों का सबसे प्रमुख कारण अशुद्ध पेयजल है। इसकी चपेट में वैसे तो सभी उम्र के लोग आते है, लेकिन बच्चे सबसे अधिक इसके शिकार बनते हैं। दुनिया में हर आठ सेकेंड में एक बच्चा जल जनित बीमारी का ग्रास बन जाता है। दुनिया में ४० लाख बच्चों की हर साल पानी से होने वाली प्रमुख बीमारी डायरिया से मौत हो जाती है। अशुद्ध पानी से होने वाली बीमारियों में हैजा, टाइफाइड, डिसेंट्री, पोलियो, मेनिनजाइटिस, हेपेटाइटिस प्रमुख प्रमुख हैं। पानी के जरिये काफी बड़ी मात्राा में कीटनाशक हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर खतरा पैदा कर रहे हैं, इनमें कुछ निम्न है।

डीडीटीः महिलाओं में प्रसव संबंधी जटिलताएं, गर्भपात होना, कम वजन के बच्चे पैदा होना, समय से पूर्व प्रसव हो जाना, शिशु के तंत्रिाका तंत्रा का कमजोर होना प्रमुख है।अग्नाशय, स्तन,यकृत,रक्त कैंसर हो सकता है। श्रवण तंत्रा कमजोर होता है।

लीडः यह पानी के जरिए शरीर में वसा कोशिकाओं में संग्रहित हो जाती है। जो यकृत वृक्क और प्रतिरोधी प्रणाली को क्षति पहुंचाती है। गर्भवती महिलाओं और शिशु पर इसका और भी घातक प्रभाव होता है। लंबे समय तक इसके अंश शरीर में पहुंचने से शरीर से ब्लीडिंग भी हो सकती है।

क्लोरोपाइरिफासः इससे शरीर में पहुंचने से प्रतिराधक तंत्रा कमजोर पड़ने लगता है। दरअसल, शरीर में सक्रिय कुछ रोगनाशक एसिड तथा न्यूक्लीओप्रोटीन की मात्राा कम होने लगती है, जिससे जल्द बीमारियां जकड़ लेती हैं।

मलाथियनः मांसपेशियां कमजोर होने लगती है और पक्षघात का खतरा हो जाता है। व्यस्कों की तुलना में नवजात शिशुओं को मलाथियन से अधिक खतरा रहता है।

पानी को कैसे रखें स्वच्छः पानी को स्वच्छ करने का सबसे बढ़िया तरीका है क्लोरिन टैबलेट का इस्तेमाल करना। क्लोरिन की एक टैबलेट से १० लीटर पानी शुद्ध होता है और पानी लगभग पूरी तरह से हानिकारक जीवाणु व विषाणुओं से मुक्त हो जाता है। जबकि टैबलेट निःशुल्क मिलती है। दूसरा तरीका यह है कि घर में फिल्टर कैंडल लगाएं। इनकी कीमत पांच सौ रूपये के करीब है। इससे पानी जीवाणु मुक्त तो हो जाता है लेकिन विषाणु तब भी रह जाते हैं। पानी को उबालना भी काफी हद तक सुरक्षित है। पानी को कम से २० मिनट तक उबालें और उसे सुरक्षित व साफ स्थान पर स्टोर करें। पानी को ढक कर रखें। तभी यह कारगर होता है।

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