छत्तीसगढ़ की नदियाँ और तालाब


छत्तीसगढ़ में अनेक नदियाँ हैं। प्रमुख नदियाँ हैं - महानदी, शिवनाथ, खारुन, पैरी।
महानदी -
महानदी सिहावा पर्वत से निकलती है। महानदी उत्तर पूर्व की ओर बहती हुई धमतरी और राजिम होती हुई बलौदा बाजार की उत्तरी सीमा तक पहुँचती है। इसके बाद महानदी अपने धुन में बहती-बहती पूर्व की ओर मुड़कर रायपुर को बिलासपुर जिले से अलग कर देती है।

गर्मियों में महानदी सूख जाती है। पर बारिश होने के बाद उसका रुप बदल जाता है। जुलाई से फरवरी में उसमें नावें भी चलती हैं। पहले तो महानदी और उसकी सहायक नदियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली वस्तुओं को समुद्र के निकट स्थित बाजारों तक भेजा जाता था। महानदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं - हसदो, जोंक व शिवनाथ।

शिवनाथ -
यह नदी महानदी की प्रमुख सहायक नदी है। दुर्ग जिले को दक्षिण-पश्चिम सीमा से निकलती है शिवनाथ और फिर उत्तर की ओर बहती हुई रायपुर जिले के बलौदा बाजार तहसील के उत्तरी भाग में जाकर महानदी में मिल जाती है। महानदी और शिवनाथ जहाँ मिलती हैं, वह जगह जैसर गाँव के नजदीक है। शिवनाथ नदी के कुछ भागों में सिर्फ वर्षा के समय ही नावें चलती हैं। और कहीं-कहीं कुछ भागों में जुलाई से फरवरी तक नावें चलती हैं।

खारुन -
शिवनाथ अगर महानदी की प्रमुख सहायक नदी है तो खारुन है शिवनाथ की प्रमुख सहायक नदी। खारुन नदी निकलती है दुर्ग जिले के संजारी से और फिर रायपुर तहसील की सीमा से बहती हुई सोमनाथ के पास शिवनाथ नदी में मिल जाती है। इसी जगह पर यह बेमेनय और बलौदाबाजार तहसील को अलग करती है। बलौदाबाजार के उत्तर में अरपा नदी, जो बिलासपुर जिले से निकलती है, शिवनाथ से आ मिलती है। हावड़ा नागपुर रेल लाइन इस खारुन नदी के ऊपर से गुजरती है। खारुन में एक शान्ति है जो देखने वालों को अपनी ओर खींचती हैं।

पैरी -
पैरी भी महानदी की सहायक नदी है। पैरी निकलती है वृन्दानकगढ़ जमींदारी से। उसके बाद उत्तर-पूर्व दिशा की ओर करीब ९६ कि.मी. बहती हुई राजिम क्षेत्र में महानदी से मिलती है। पैरी नदी धमतरी और राजिम को विभाजित करती है। पैरी नदी के तट पर स्थित है राजीवलोचन का मंदिर। राजिम में है पैरी, महानदी और सोंढू नदियों का त्रिवेणी संगम-स्थल।

तालाब और छत्तीसगढ़ -
छत्तीसगढ़ में तालाबों की संख्या बहुत ज्यादा है। ये तालाब वर्षा के पानी से भरते हैं। शहरों में तालाब भर कर मकान बनाये जा रहे हैं जो भविष्य में पानी की समस्या के रुप में प्रकट होगा। रायपुर, छत्तीसगढ़ की राजधानी में बीस साल पहले ढेर सारे तालाब हुआ करते थे। आज जगहों के नाम से पता चलता है कि वहाँ पहले तालाब हुआ करता था। वहाँ के बहुत सारे जगहों का नाम तालाब के साथ जुड़ा हुआ है - जैसे कटोरा तालाब, बूढ़ा तालाब आदि। गाँव में भी तालाबों की संख्या दूसरे क्षेत्र से कई गुना अधिक है।

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